About Me
Once upon a time a child born on 08th July at Oon, a city of historical importance in Khargone district of Madhya Pradesh. His Mother is Mrs. Meera Madhukar and father Late. Mr. Harlal Madhukar. They both were teachers, its advantage was that he became excellent in language, science and studies. He studied school at Oon, then came to Indore to become an engineer like the ancestors of the family. He wasted a few years in engineering in Textile Technology, but the studies of engineering did not go well.
Engineering and Textile bugs were not completely dead, so in 2006 he did a diploma in Apparel Manufacturing Technology, Graduated and Post-graduated in Fashion Technology. After this he also got MBA in Marketing. At the same time, for the past 13 years, he has also been doing teaching - training jobs at various national level organization in the filed of skill development, vocational education and university level of apparel / textile / fashion industry.
The hobby of writing - reading, traveling, going to new places and meeting people - got inherited from his father. Wrote poems, articles, story, satire and travelogues in Hindi. When the opportunity to go to many cities in many states of India for the job, the hobby of wanderer got wings. Started writing the experiences of this stroller. He has not taken any formal education of writing. His hobby is reading & writing.
He like to attend & participate in various cultural activities like teaching, writing, drama-dance-music, kavi sammelan, mushira, fashion show. Also he like to study the diversity of culture, art and craft, food and clothing etc. of the country and travel to natural, historical places.
and Who is he?
Yes, it's me - Kapil Kumar
मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के ऐतिहासिक महत्व की नगरी ऊन में जन्म हुआ। माँ श्रीमती मीरा मधुकर और पिता स्व. श्री हरलाल मधुकर है। दोनों शिक्षक रहे इसका फायदा ये हुआ कि भाषा, विज्ञान और पढाई में बढ़िया हो गए। स्कूली पढाई यहीं के स्कूल से की फिर परिवार के पूर्वजों की तरह इंजीनियर बनने के लिए इंदौर आ गए।
टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी में कुछ साल इंजीनियरिंग में बर्बाद किये लेकिन इंजीनियरिंग की पढाई रास नहीं आई। इंजीनियरिंग और टेक्सटाइल के कीड़े पूरी तरह मरे नहीं थे इसलिए 2006 में अपैरल मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा किया फिर ग्रेजुएशन करके फैशन टेक्नोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके बाद मार्केटिंग में एमबीए भी हो गए। साथ ही साथ पिछले 13 साल से अपैरल / टेक्सटाइल / फैशन इंडस्ट्री के स्किल डेवलपमेंट, वोकेशनल एजुकेशन और यूनिवर्सिटी लेवल पर टीचिंग / ट्रेनिंग का जॉब भी करते रहे।
लिखने – पढने, घुमने – फिरने, नई जगहों पर जाने और लोगों से मिलने – जानने का शौक पापा से बौद्धिक विरासत में मिला। हिंदी में कवितायेँ, लेख, कहानी, व्यंग्य एवं यात्रा वृतांत लिखते रहे। जॉब के चक्कर में भारत के कई राज्यों के बहुत से शहरों में जाने का मौका मिला तो घुमक्कड़ी के शौक को पंख मिले।
इसी घुमक्कड़ी के अनुभवों को लिखना शुरू किया। लेखन की कोई विधिवत शिक्षा नहीं ली है। शौकिया लेखन पठन करते हैं। पढ़ाना, नाटक-नृत्य-संगीत, कवि सम्मेलन और मुशायरा जैसी सांस्कृतिक गतिविधियां देखना-सुनना और भाग लेना पसंद है। साथ ही देश की विविधताओं भरी संस्कृति, आर्ट एवं क्राफ्ट, खान-पान एवं पहनावे आदि के अध्ययन और प्राकृतिक, ऐतिहासिक स्थानों पर पर्यटन करना पसंद है।
- कपिल कुमार
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